जनिए शेअर मार्केट मे स्टॉपलॉस क्या होता है /What is Stop Loss in Stock Market? Meaning In Hindi

यदि आप शेयर बाजार के प्रमुख ट्रेडरों की बायोग्राफी सुनते या पढ़ते हैं तो आपने नोटिस किया होगा कि लगभग 95 प्रतिशत ट्रेडरों ने अपने ट्रेडिंग की शुरुआत में भारी नुकसान उठाया है। कुछ ट्रेडरों ने इतना बड़ा नुकसान उठाया होता कि पूरी पूंजी एक ही ट्रेड में चली गई होती।

शेयर बाजार में स्टॉप लॉस का उपयोग करना एक और महत्वपूर्ण कारण है कि ट्रेडिंग के दौरान स्टॉप लॉस नहीं लगाना चाहिए. आज के स्टॉप लॉस क्या है? इस अध्याय में हम स्टॉप लोस को शेयर बाजार में क्या है?

Table of Contents

शेअर मार्केट मे स्टॉप लॉस क्या है ? – What Is Stop Loss Meaning in Hindi?

Stop Loss वह कीमत है जब ब्रोकर पोजिशन से बाहर निकलता है जब शेयर की कीमत पहुंच जाती है। ट्रेडर, ट्रेड लेने के बाद बड़े नुकसान से बचने के लिए स्टॉप लॉस का उपयोग करते हैं।

शेयर बाजार में ट्रेड करने से पहले कोई भी पेशेवर ट्रेडर चार्ट का तकनीकी विश्लेषण करता है. उसके बाद, वह निर्णय लेता है कि ट्रेड खरीदना है या बेचना है। ट्रेडर को ट्रेड करने से पहले स्टॉप लॉस और ट्रेड टार्गेट की गणना करनी चाहिए।क्या ट्रेंड लाइन पैटर्न है?

शेयर बाजार निरंतर बदलता रहता है यदि आपका ट्रेड बाजार की चाल से सही बैठ गया है तो आप बड़े मुनाफा कमा सकते हैं, लेकिन यदि शेयर या बाजार आपके ट्रेड के विपरीत चला जाता है तो आपको मानना चाहिए कि आपका ट्रेड गलत था। ऐसे में, मानव मनोविज्ञान के अनुसार, स्टॉपलॉस को पहले से सेट नहीं करना आपके लिए मुश्किल होगा और आपको बहुत नुकसान होगा।

शेयर बाजार में ट्रेडिंग करते समय एक छोटी सी गलती आपके सारे पैसे ले लेती है, इसलिए ट्रेडर को ट्रेड लेने से पहले स्टॉपलॉस और ट्रेड टार्गेट की गणना करनी चाहिए।

स्टॉप लॉस लगाने के फायदे क्या है (Advantages Of Using Stop Loss)

शेयर बाजार में ट्रेडर को स्टॉप लॉस लगाने के कई फायदे हैं, लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हैं।

अब हम स्टॉप लॉस लगाने के फायदे समझते हैं।

  • यह आपके रिस्क मैनेजमेंट में सुधार करता है।
  • यह आपको ट्रेडिंग में भारी नुकसान से बचाता है।
  • टार्गेट और स्टॉप लॉस लगाने के बाद आपको बार-बार डिस्प्ले पर समय नहीं देना पड़ता।
  • इसके लगाने पर ब्रोकर कोई अलग चार्ज नहीं करता है।
  • स्टॉप-लॉस और टार्गेट लगाकर इंतजार करने से ट्रेडर स्थिर और धैर्यवान बनते हैं
  • स्टॉप लगाने से आप भावनाओं को बाजार पर हावी नहीं होने देते।

स्टॉप लॉस लगाने के नुकसान क्या है (Disadvantages Of Using Stop Loss)

इंट्रा-डे ट्रेडिंग में अक्सर स्टॉप लॉस का उपयोग किया जाता है | बाजार में उतार-चढ़ाव कभी-कभी शेयर स्टॉप-लॉस को मार डालता है। शेयर फिर ट्रेडर की ओर चलते हैं, लेकिन ट्रेडर का स्टॉप-लॉस कट गया है, इसलिए वे ट्रेड से बाहर हो गए हैं।

स्टॉप लॉस कितने प्रकार के होते है

विभिन्न स्टॉप-लॉस हैं, लेकिन हम मुख्यतः तीन प्रकार के स्टॉप-लॉस पर चर्चा करेंगे।

  • percentage wise stoploss
  • support and resistance based stoploss
  • chart pattern based stoploss

percentage wise stoploss

जब ट्रेडर टेक्निकल एनालिसिस करने के बाद ट्रेड लेता है और अपने रिस्क और रिवार्ड को प्रतिशत में गणित करता है, तो वे अपने स्टॉप लॉस को प्रतिशत में लगाते हैं। इस तरह का ट्रेडर स्टॉप लॉस पूर्वानुमान से लगाया जाता है | ज्यादा रिस्क वाले ट्रेडर 7 से 8 प्रतिशत स्टॉप-लॉस लगाते हैं, लेकिन कम रिस्क वाले ट्रेडर 2 से 3 प्रतिशत स्टॉप-लॉस लगाते हैं। यह आपके रिस्क रेशियो और रिटर्न पर निर्भर करता है |

इस तरह का स्टॉप-लॉस अक्सर फ्यूचर और आप्शन ट्रेडिंग में उपयोग किया जाता है। फ्यूचर और आप्शन में बहुत अधिक वोलिटिलिटी होती है | इसमें एक दिन में आपकी पूंजी खत्म हो सकती है या आपका पैसा डबल हो सकता है। इसलिए ट्रेडर ट्रेलिंग स्टॉप लॉस का प्रयोग करता है और इस वोलिटिलिटी का पूरा लाभ उठाता है।

support and resistance based stoploss

शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव से चार्ट में सपोर्ट और रेजिस्टेंस से बनते हैं। स्टॉप-लॉस लगाने में आपको सपोर्ट और रेजिस्टेंस मिलता है। जैसे, आप सपोर्ट लेवल पर शेयर खरीदते हैं तो आपको सपोर्ट लेवल से थोड़ा निचे का स्टॉप लॉस लगाना चाहिए, और रेजिस्टेंस लेवल पर शेयर बिकवाली करते हैं तो आपको रेजिस्टेंस लेवल से थोड़ा ऊपर स्टॉप लॉस लगाना चाहिए। 

chart pattern based stoploss

जब कोई ट्रेडर कैंडलस्टिक चार्ट पैटर्न या कैंडलस्टिक पैटर्न का उपयोग करके ट्रेड करता है, तो ये पैटर्न स्वतः लक्ष्य और स्टॉप लॉस का डिसाइड करते हैं। इस पैटर्न में स्टॉप लॉस को अलग से सोचने की आवश्यकता नहीं है।

स्टॉप लॉस को कैसे लगाना चाइये? (stoploss kese lagaye?)

ट्रेडर को ट्रेड करने से पहले रिस्क और रिटर्न की गणना करनी चाहिए। इससे रिस्क रिवार्ड रेशियो, या कमाई की मात्रा, पता चलता है। ट्रेडर को टेक्निकल एनालिसिस बताता है कि उसे कहाँ टार्गेट लगाना है और कहाँ स्टॉप-लॉस लगाना है। अब हम देखेंगे कि एक ट्रेडर ट्रेडिंग के दौरान स्टॉप लॉस कैसे लगा सकता है।

Steps जो आपको stoploss लगाते वक्त ध्यान मे रखनी चाइये

  1. पहले आपको अपने ब्रोकर के ट्रेडिंग प्लेटफार्म (जैसे एंजेल ब्रोकिंग ऐप, जेरोधा, शेयरखान और मोतीलाल ओसवाल ट्रेड) को खोलना होगा।
  2. अब आपको अपना पोजिशन टैब खोलकर एग्जिट टैब पर क्लिक करना होगा. इसके बाद, आपको स्टॉप-लॉस पर क्लिक करने के लिए एक अलग विंडो खुल जाएगा।
  3. इसके बाद आपको यहाँ दो मूल्य दर्ज करना होगा: ट्रिगर मूल्य और लिमिट मूल्य।
  4. आप ट्रिगर प्राइस में जिस कीमत पर अपने स्टॉप-लॉस की जानकारी स्टॉक एक्सचेंज को भेजना चाहते हैं, वहीं लिमिट प्राइस में जिस लेवल पर आप स्टॉप-लॉस लगाना चाहते हैं, दर्ज किया जाता है।
  5. ट्रेलिंग स्टॉप लॉस में स्टॉप लॉस की कीमत शेयर की कीमत के साथ बढ़ती रहती है।
  6. स्टॉपलॉस निर्धारित करने के बाद, ट्रेडर द्वारा खरीदे गए शेयर पर टच करके एग्जिट बटन पर क्लिक करके ट्रेड का लक्ष्य निर्धारित किया जाता है।

ऐसे आप स्टॉप लॉस लगाकर अपने नुकसान को कम कर सकते हैं और ट्रेलिंग स्टॉप लॉस लगाकर अपने लाभ को सुरक्षित कर सकते हैं।

हम अक्सर जिस दिन स्टॉप लॉस लगाते हैं, वह हिट होता है, लेकिन अगर ऐसा नहीं होता तो वह दिन के अंत में कैंसिल हो जाता है। लेकिन GTT (Good Till Triggered) सुविधा का प्रयोग करना चाहिए यदि आप अपने स्टॉप-लॉस को कई महीनों तक बनाए रखना चाहते हैं। GTT (Good Till Triggered) सुविधा के माध्यम से आप कई महीने तक किसी भी शेयर में स्टॉप-लॉस और टार्गेट को लगाये रख सकते हैं।

ट्रिगर प्राइस और लिमिट प्राइस क्या होता है ?(What is Trigger Price And Limit Price ?)

जैसा कि हमने पहले बताया, ट्रेडर स्टॉप लॉस (Stop Loss) का उपयोग करता है ताकि उनके ट्रेड से होने वाले नुकसान को कम कर सकें। स्टॉप-लॉस आर्डर लगाने के लिए हमें स्टॉप-लॉस ट्रिगर प्राइस और लिमिट-प्राइस दो मूल्यों को दर्ज करना होगा।

Trigger price क्या होता है ?

जिस कीमत पर ब्रोकर स्टॉक एक्सचेंज को स्टॉप-लॉस लिमिट प्राइस की जानकारी देता है, उसे स्टॉप-लॉस ट्रिगर प्राइस कहा जाता है।

Limit Price क्या होता है ?

लिमिट प्राइस, ट्रेडर द्वारा निर्धारित कीमत है जिस पर वह स्टॉप-लॉस लगाना चाहता है।

जब शेयर की कीमत ट्रिगर प्राइस पर पहुंचती है, तो ब्रोकर इसकी जानकारी एक्सचेंज को भेजता है, जिससे एक्सचेंज सौदा करने के लिए सौदेबाज को तैयार रखता है। स्टॉक एक्सचेंज सौदा पूरा करता है जैसे ही शेयर की कीमत लिमिट प्राइस पर पहुंचती है।

उदाहरण –

यदि आपने 100 रुपये में  abc कंपनी का शेयर खरीदा है और, आपका तकनीकी विश्लेषण बताता है कि शेयर का लक्ष्य मूल्य 140 रुपये है और स्टॉप-लॉस 80 रुपये है, तो आप दो आर्डर लगायेंगे।

टार्गेट का पहला आर्डर 140 रुपये का होगा। हम दूसरा Order Stop Loss, जिसका मूल्य 80 रुपये है, लगायेंगे। यह आदेश लगाते समय आपको दो मूल्यों का विवरण देना होगा। पहली वैल्यू स्टॉप-लॉस ट्रिगर कीमत जो स्टॉप-लॉस कीमत से अधिक हो सकती है या बराबर हम यहाँ इसकी वैल्यू 85 लेकर समझने की कोशिश करेंगे। साथ ही दूसरा वैल्यू लिमिट प्राइस, जिसका मूल्य यहाँ 80 है

यदि आपका ट्रेड सही रहा तो शेयर की कीमत ऊपर चली जाएगी और सौदा 140 पर पूर्ण हो जाएगा, जिससे आपको 40 प्रतिशत का प्रॉफिट मिलेगा।

यदि आपका ट्रेड गलत होगा, तो आपका ब्रोकर इसकी जानकारी स्टॉक एक्सचेंज को भेज देगा जैसे ही शेयर की कीमत 82 रुपये पर गिर जाएगी। स्टॉक एक्सचेंज आपके द्वारा खरीदे गए शेयर को लिमिट प्राइस पर एक नया खरीददार खोजने के लिए तैयार रहता है। आपका सौदा एक्सचेंज बंद कर देता है जैसे ही शेयर की कीमत 80 पर गिरती है। इस स्थिति में आपको 20 प्रतिशत का नुकसान होगा। 

ट्रेलिंग स्टॉप लॉस क्या है (Trailing Stop Loss Meaning in Hindi)

Trailing Stop Loss एक मूविंग स्टॉपलॉस है जो शेयर की कीमत के साथ-साथ बदलता रहता है। जब ट्रेड सही दिशा में जा रहा होता है, ट्रेडर इसका उपयोग करता है। जब ट्रेडर का ट्रेड सही दिशा में चल रहा होता है, तो वह सोचता है कि उसका लाभ कम हो जाएगा, लेकिन अब वह नुकसान में नहीं जाएगा, तो वह ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस (Trailing Stop Loss) का प्रयोग करता है।

इसमें ट्रेडर अपने स्टॉप-लॉस को शेयर की मूल्य से कुछ पॉइंट नीचे लगाता है। जितने पॉइंट का ट्रेडर ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस निर्धारित करता है ट्रेडर के स्टॉप-लॉस बढ़ने के साथ-साथ ट्रेडर का लाभ भी बढ़ता है | एक शब्द में, ट्रेडर अपना प्रॉफिट प्रोटेक्ट करता है।

इस तरह ट्रेड में प्रॉफिट तो बढ़ता है लेकिन नुकसान नहीं, बल्कि प्रॉफिट कम होता है।

FAQ’s

स्टॉप लॉस क्या है उदाहरण सहित?

stoploss ये एक tool है जो आपको अतिरिक्त लॉस होने से बचाता है।
यदि आपने 100 रुपये में  abc कंपनी का शेयर खरीदा है और, आपका टेक्निकल बताता है कि शेयर का target मूल्य 140 रुपये है और स्टॉप-लॉस 80 रुपये है, तो stoploss लगाने से आप अतिरिक्त लॉस होने से बच जाते हो।

शेयर खरीदते समय स्टॉप लॉस कैसे लगाएं?

शेयर खरीदते समय स्टॉप लॉस लगाने के लिए आपको दो ऑर्डर लगाने होते है पहला ट्रिगर प्राइस ऑर्डर और दूसरा लिमिट प्राइस ऑर्डर। अगर आपने किसी शेअर को 105 पे खरीदा है और 100 पर बेचना चाहते हो तो आपको 106 का trigger और 105 का लिमिट ऑर्डर लगाना होता है, जब भी मार्केट आपके ट्रिगर प्राइस पर आता है आपका ऑर्डर execute हो जाता है।

स्टॉप लॉस ऑर्डर के उदाहरण कैसे रखें?

stoploss ये एक tool है जो आपको अतिरिक्त लॉस होने से बचाता है।
यदि आपने 100 रुपये में  abc कंपनी का शेयर खरीदा है और, आपका टेक्निकल बताता है कि शेयर का target मूल्य 140 रुपये है और स्टॉप-लॉस 80 रुपये है, तो stoploss लगाने से आप अतिरिक्त लॉस होने से बच जाते हो।

स्टॉप लॉस सेट करने में कितना खर्चा आता है?

स्टॉप लॉस ऑर्डर लगाने के लिए कोई खर्चा नही आता लेकिन आपको ट्रेड complete होने के बाद एक्स्चेंज fees और ब्रोकरेज देना होता है।


क्या मैं खरीदने से पहले स्टॉप लॉस लगा सकता हूं?

नही, खरीदने से पहले आप स्टॉप लॉस नही लगा सकते।

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